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Aadat Shayari / आदत शायरी
एक आदत सी बन गई है तू, और आदत कभी नहीं जाती.
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़, मुझ को आदत है मुस्कुराने की.
किस तरह करे खुद को तेरे प्यार के क़ाबिल हम, हम अपनी आदतें बदलते है तो तुम शर्ते बदल देते हो.
तेरी आदत से पीछा छुड़ाते-छुड़ाते, कहीं मौत मेरे आगे ना आ जाए.
बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ, मैं अपने आप में लेकिन, बस तुमको याद करने की, वो आदत अब भी वाकी है.
मैंने तेरा बहुत हो ना चाहा लेकिन अफसाने ही रहे, तेरे होठों पर हमेशा बहाने थे और बहाने ही रहे.
मुझे रुला कर सोना, तो तेरी आदत बन गई है, जिस दिन मेरी आँख ना खुली, तुझे निंद से नफरत हो जायेगी.
कल रात एक अजीब हादसा हुआ, तुम्हारी आदत ने खुदखुशी कर ली.
सर झुकाने की आदत नहीं, आंसू बहाने की आदत नहीं, हम खो गए तो पछतावोगे बहुत, हमारी लौट के आने की आदत नहीं.
बिन बात के ही रूठने की आदत है, किसी अपने का साथ पाने की चाहत है, आप खुश रहें, मेरा क्या है, मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है.
मुझे आदत नहीं यूँ हर किसी पे मर मिटने की, पर तुझे देख कर दिल ने सोचने तक की मोहलत ना दी.
यह आदत भी ना कितनी जल्दी हो जाती है, पर छोड़ने का वक्त आता है तो आसानी से छूटती नहीं.
अपनी जिंदगी में किसी इंसान को, अपनी आदत न बनाना, क्योंकि जब वो बदलता है, तो उससे ज्यादा खुद पर गुस्सा आता है.
आंसुओ के गिरने की आहात नहीं होती, दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती, अगर होता खुदा को एहसास दर्द का, तो उसे दर्द देने की आदत नहीं होता.
जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना, मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है.
कैसे बदल लूँ, ये आदत मैं अपनी, कि मुझे तुझे याद करने की आदत हो गई है.
बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली.
में छोड़ तो सकता हूँ लेकिन छोड़ नहीं पाता उसे, वो मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है.
किसी की आदत हो जाना, मोहब्बत हो जाने से भी ज्यादा खतरनाक है.
आदत बदल दू कैसे तेरे इंतेज़ार की, ये बात अब नही है मेरे इकतियार की, देखा भी नही तुझ को फिर भी याद करते है, बस ऐसी ही खुश्बू है दिल मे तेरे प्यार की.
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