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Aankhen Shayari / आंखे शायरी

जाती है इस झील की गहराई कहाँ तक, आँखों में तेरी डूब के देखेंगे किसी रोज।


इतने सवाल थे कि मेरी उम्र से न सिमट सके, जितने जवाब थे कि तेरी एक निगाह में आ गए।


पैगाम लिया है कभी पैगाम दिया है, आँखों ने मोहब्बत में बड़ा काम किया है।


महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है, नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है, दो घूँट पी लेने दे आँखों के प्याले से, नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है।


बहुत बेबाक आँखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता, मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है।


तमाम अल्फाज़ नाकाफी लगे मुझको, एक तेरी आँखों को बयां करने में।


कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से, किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।


साकी को गिला है कि उसकी बिकती नहीं शराब, और एक तेरी आँखें हैं कि होश में आने नहीं देती।


अगर कुछ सीखना ही है तो आँखों को पढ़ना सीख लो, ​वरना ​लफ़्ज़ों के मतलब तो हजारों निकल आते है।


ये कायनात सुराही थी, जाम आँखें थीं, मुवसलत का पहला निज़ाम आँखें थीं।


सिर्फ आँखों को देख के कर ली उनसे मोहब्बत, छोड़ दिया अपने मुक़द्दर को उसके नक़ाब के पीछे।


कोई आग जैसे कोहरे में दबी-दबी सी चमके, तेरी झिलमिलाती आँखों में अजीब सा शमा है।


मिली जब भी नजर उनसे धड़कता है हमारा दिल, पुकारे वो उधर हमको इधर दम क्यों निकलता है।


होता है राजे-इश्को-मोहब्बत इन्हीं से फाश, आँखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।