Akelapan Shayari - अकेलापन शायरी
वो तुम्हारे नज़रिए से अकेलापन हो सकता है
पर मेरे नज़रिए से देखो वो मेरा सुकून है।
धोखे से डरते हैं इसीलिए आज भी अकेले रहते हैं।
खुदा जाने यह कैसी रहगुजर है, किसकी तुरबत है,
वो जब गुज़रे इधर से गिर पढ़े दो फूल दामन से।
तन्हाई का एक ऐसा भी आलम है
जो कुछ भी करने को मजबूर कर देता है
ऊपरवाला भी ना जाने क्या चाहता है
क्यों प्यार करने वालो को दूर कर देता है।
एक चाहत होती है, जनाब अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है कि.. ऊपर अकेले ही जाना है…
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम अकेले ही रह जाते है!
इस दिल का दर्द दिखाये किसे?
मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है!!
महफ़िल से दूर
मैं अकेला हो गया
सूना सूना मेरे लिए
हर मेला हो गया।
होठों ने सब बातें छुपा कर रखीं ……
आँखों को ये हुनर… कभी आया ही नहीं ……
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा।
है तमन्ना फिर, मुझे वो प्यार पाने की…….
दिल है पाक मेरा , ना कोशिश कर आज़माने की …!!
अब इंतज़ार की आदत सी हो गई है
खामोशी एक हालत सी हो गई है
ना शिकवा ना शिकायत है किसी से
क्यूंकी अब अकेलेपन से मोहब्बत सी हो गई है।
0 Comments